धनी घर के ऐ चातर करइया, खेत बेंचके ऐ नौकर बनइया
तोर किसानी गंवावथे रे !
तोला लाज कइसे नइ लागे ?
सरकारी चांऊर म मेछरावथस, चेपटी पी के पटियावथस
तोर जुवानी घुनावथे रे !
तोला लाज कइसे नइ लागे ?
करिया पूंजी के घोड़ा दंउड़थे, देसराज म मुनादी होगे
खेत-खेत म पलांट बइठावथे, पूंजीपति बर मांदी होगे
अन्न उपजइया किसान बपरा ह, देख तो कचरा-कांदी होगे
पुरखऊती बिगाड़ के गुलामी करइया
खेत बिगाड़ के सियानी करइया
तोर सियानी घुनावथे रे !
तोला लाज कइसे नइ लागे ?
धान कटोरा म राखड़ भरगे, साल के साल दुकाल होवथे
भाई के रकत भाई बोहावथे, दाई के अंचरा लाल होवथे
घर फूंक के जग उजरइया ह, कला करके कंगाल होवथे
नित सिंगार अतर म बूड़े रहइया,
कजरा-गजरा नित लिखइया
तोर लिखानी भुलरावथे रे !
तोला लाज कइसे नइ लागे ?
छत्तीसगढ़िया बढ़िया कहिके, कपटी पांव पसार धरे
चिलवा, गिधवा नित बिचारथे, किसान खेत म बैपार धरे
तभे किसान ल कोढ़िया करके, किसानी के बंठाधार करे
मरे बिहान हे अइसन सियानी म,
हमर रतन बेटा रमे हे मितानी म
तोर मितानी घुनावथे रे !
तोला लाज कइसे नइ लागे ?
लोकनाथ साहू ललकार
बालकोनगर, कोरबा (छ.ग.)
मोबाइल- 9981442332
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